नूरपुर के पोंग बांध विस्थापित परिवारों की भूमि भू-माफिया ने जबरन किया कब्जा

Land mafia forcibly occupied the land of Pong dam displaced families of Noorpur
नूरपुर के पोंग बांध विस्थापित परिवारों की भूमि भू-माफिया ने जबरन किया कब्जा

नूरपुरः कांगड़ा जिले के नूरपुर में पोंग बांध विस्थापित परिवारों की भूमि पर राजस्थान के भू-माफिया द्वारा अधिकारियों के साथ मिलकर जबरन कब्जा करने का मामला सामने आया है। वहां के लोगों ने सरकार से अनुरोध किया है कि पौंग डैम से राजस्थान को दिए जा रहे पानी के तुरंत प्रभाव को बंद कर दे, जब तक समस्त पोंग डैम विस्थापित परिवारों को राजस्थान के सुरक्षित स्थानों पर भूमि का आवंटन नहीं किया जाता।

प्रदेश पोंग बांध विस्थापित कमेटी के अध्यक्ष हंसराज चौधरी ने कहा है कि पिछले 60 वर्षों से पोंग बांध विस्थापित परिवारों की भूमि पर राजस्थान के भू-माफिया ने वहां के अधिकारियों के साथ मिलकर जबरन कब्जा कर रखा है। विस्थापित परिवारों को मारपीट कर जबरन वहां से भगाया जा रहा है।

कई वर्षों से पोंग बांध विस्थापित परिवारों की भूमि पर भू-माफिया ही फसल की बिजाई कर रहा है। लेकिन वहां के अधिकारी शिकायत व केस दर्ज करने के उपरांत भी उन पर कोई भी कार्यवाही नहीं कर पा रहे है। प्रदेश पोंग बांध विस्थापित कमेटी के अध्यक्ष हंसराज चौधरी ने एक बातचीत के दौरान कहा है कि पिछले 60 वर्षों से पोंग बांध विस्थापित परिवारों की भूमि पर राजस्थान के भू-माफिया ने वहां की अधिकारियों के साथ मिलकर जबरन कब्जा कर रखा है।

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पिछले कई वर्षों से पोंग बांध विस्थापित परिवारों की भूमि पर भू-माफिया ही फसल की बिजाई कर रहा है। लेकिन वहां के अधिकारी शिकायत व केस दर्ज करने के उपरांत भी उन पर कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है। विस्थापित परिवारों को मारपीट कर जबरन वहां से भगाया जा रहा है। विस्थापित कमेटी के अध्यक्ष ने कहा कि सैकड़ों विस्थापित परिवारों की भूमि की धोखाधड़ी से वहां के लोगों ने अधिकारियों के साथ मिलकर रजिस्ट्रीयां करवा ली है।

मगर शिकायत व केस करने के उपरांत भी विस्थापित परिवारों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। पोंग डैम निर्माण के समय ऐसे सैकड़ों विस्थापितों को अपनी जिन्दगी से हाथ धोना पड़ा था। जिन्होनें अपनी हरित सिंचित उपजाउ भूमि बांध के निर्माण में दी थी। देश की खुशहाली व दूसरे राज्यों को रोशन करने वाले पोंग बांध विस्थापितों का दर्द 60 वर्ष बीत जाने के उपरांत भी कम नहीं हो रहा है।

वर्ष 1960 में 360 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना के निर्माण के लिए व्यास नदी पर पोंग बांध की आधारशिला रखी गई थी और एकत्रित पानी राजस्थान की भूमि को तर करने के लिए दिया जाना था, बांध निर्माण के बाद 1972 में शुरू हुए जलभराव के कारण कांगड़ा जिला के हलदून घाटी के 339 गांवो के करीब 30,000 परिवार बेघर हुए थे।

पौंग डैम निर्माण से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान की रेगिस्तान भूमि को सिंचित किया गया। आज भी ईनाम मंे हिमाचल प्रदेश के पौंग विस्थापितों को मोदी सरकार के काल मंे धक्के खाने पड रहे है।

संवाददाताः विनय महाजन

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