एसआइटी के 15 सवालों में उलझ गया मुख्य आरोपित मोनू

उज्जवल हिमाचल। लखनऊ

आशीष मिश्रा से करीब 12 घंटे की पूछताछ में क्राइम ब्रांच तथा एसआइटी का फोकस सिर्फ 15 सवालों पर था। एसआइटी के लगातार एक ही प्रश्न का जवाब मांगने पर मोनू काफी झल्ला भी गया था। इसके बाद जांच में सहयोग न करने के आरोप में आशीष मिश्रा ‘मोनू’ को शनिवार रात देर रात गिरफ्तार कर लिया गया। बता दें कि लखीमपुर खीरी में उपद्रव के बाद भड़की हिंसा में चार किसान सहित आठ लोगों की मौत के प्रकरण में नामजद केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के पुत्र आशीष मिश्रा ‘मोनू’ को लखीमपुर खीरी पुलिस ने करीब 12 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। एसआइटी प्रभारी डीआइजी उपेंद्र अग्रवाल के नेतृत्व में उनकी टीम के साथ क्राइम ब्रांच की टीम ने भी मुख्य आरोपित आशीष मिश्रा से लम्बे समय तक पूछताछ की।

एसआइटी के इन 15 सवालों पर आशीष का जवाब
सवाल: हिंसा के समय तुम कहां थे?
जवाब -दंगल में।
सवाल: प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि हिंसा के समय तुम घटनास्थल पर ही एक वाहन में थे। तुम्हारे काफिले में कितने वाहन थे।
जवाब- मैं दंगल में ही था। काफिले में कौन कार्यकर्ता थे मालूम नहीं।
सवाल: तुम्हारे वाहन में और कौन-कौन लोग बैठे हुए थे?
जवाब- चालक हरिओम था। उसके साथ और कौन था मुझे नहीं मालूम, हम तो दंगल में थे।
सवाल: जिस वाहन में तुम थे, वह किसका था?
जवाब- थार मेरी थी, लेकिन मैं उसमें नहीं था। आप लोग एक ही बात कितनी बार पूछेंगे।
सवाल: वाहन में तुम किधर बैठे थे। वाहन को कौन चला रहा था?
जवाब- मुझे नहीं मालूम, मैं नहीं था बस।
सवाल: जब तुम्हारा वाहन घटनास्थल पर पहुंचा तो भीड़ कितनी थी?
जवाब- आप लाख बार पूछ लीजिए हम एक ही जवाब देंगे घटनास्थल पर हम मौजूद नहीं थे। वहां क्या हुआ कुछ नहीं पता, जो जानकारी हुई बाद में हुई।
सवाल : भीड़ सड़क पर क्या कर रही थी। क्या भीड़ तुम्हारे वाहनों का रास्ता रोक रही थी?
जवाब- पता नहीं।
सवाल: जब पहला आदमी वाहन से टकराया तो वाहन रोका क्यों नहीं?
जवाब- मैं होता तो गाड़ी रोकता। जब था ही नहीं तो कैसे रोकता। चालक ने ऐसा किन परिस्थितियों में किया पता नहीं।
सवाल: तुम्हारे पास लाइसेंसी हथियार है या नहीं है। तुम्हारे साथ वाहन में किस-किस के पास लाइसेंसी हथियार थे?
जवाब- नहीं पता।
सवाल: फायरिंग की आवाज वाहनों से कैसे आ रही थी?
जवाब- हमको नहीं पता, बार-बार एक ही सवाल क्यों पूछ रहे आप लोग।
सवाल: सोशल मीडिया पर कई वीडियो हैं, जो घटनास्थल पर तुम्हारी उपस्थिति साबित कर रहे हैं?
जवाब- गलत हैं, मैंने जो वीडियो दिए वो सही हैं। घटना स्थल पर मैं नहीं था।
सवाल: अगर यदि घटनास्थल पर नहीं थे, तो एफआईआर होने के बाद तुम अंडरग्राउंड क्यों हुए। नोटिस जारी होने के बाद भी पेश क्यों नहीं हुए?
जवाब- मैं दिल्ली में था और मीडिया से भी लगातार बात कर रहा था। पहले नोटिस की जानकारी समय से नहीं हुई। उस समय थोड़ी तबीयत भी ठीक नहीं थी। जानकारी होते ही आज इसलिए समय से पहले पेश हुआ।
सवाल: तुम किस आधार पर दावा करते हो कि हिंसा के दौरान तुम घटनास्थल पर नहीं थे?
जवाब- दंगल के कार्यक्रम और गांव के वीडियो फुटेज और गांव वालों के हलफनामा इसके सबूत है। आप लोग इसकी जांच करा सकते हैं।
सवाल: तुम घटनास्थल पर न होने के दावे के समर्थन में जो वीडियो दिखा रहे हो, उनकी सत्यता का आधार क्या है?
जवाब- सभी सही हैं। आप फॉरेंसिक जांच करा सकते हैं या फिर भौतिक सत्यापन। जिससे साफ हो जाएगा कि मैं गांव पर था।
सवाल: तुम्हारे दावे और उपलब्ध कराए गए साक्ष्य पर पुलिस भरोसा क्यों करे, जब तुमने अब तक कोई सहयोग हीं नहीं किया?
जवाब- पुलिस ने जैसे ही बुलाया मैं हाजिर हो गया। इसके साथ ही जब भी मेरे सहयोग की जरूरत पड़ेगी दूंगा। मैं कोई अपराधी नहीं हूं। एक राजनेता का बेटा और मेरा खुद का व्यवसाय है।