मंडी : राष्ट्रीय नवजात सप्ताह का जिला स्तरीय जागरूकता अभियान का आयोजन मातृ एवं शिशु अस्पताल मंडी में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ देवेन्द्र शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। डॉ देवेन्द्र शर्मा ने बताया कि शिशु जीवन के पहले चार सप्ताह बहुत ही जोखिम भरे और कष्टदायक होते हैं। क्योंकि प्रसव के दौरान व जन्म के एक घंटे के भीतर लगभग 40 प्रतिशत नवजात मौतें हो जाती हैं। नवजात शिशुओं की सभी मौतों में से तीन चौथाई शिशु जीवन के पहले सप्ताह में ही मर जाते हैं। जबकि शिशु जन्म के समय नवजात को उचित देखभाल तथा गुणवतापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार करके नवजात शिशु मृत्यु को रोका जा सकता है।
इसी उद्देश्य के तहत भारत सरकार ने राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह का आयोजन 15 नवम्बर से 21 नवम्बर 2022 तक जागरूकता अभियान में मनाया जा रहा है। डॉ देवेन्द्र शर्मा ने इस दौरान जिला मंडी में होनी वाली गतिविधियों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि एसएनसीयू/एनबीसीयू तथा प्रसव कक्ष से जुड़े लोगों तथा स्वास्थ्य देखभाल देने वालों को परामर्श व मेंटरिंग दी जाएगी और गुणवता को परखने के लिए भ्रमण किया जाएगा। जिला के बाल रोग विशेशज्ञ, समस्त खण्ड चिकित्सा अधिकारियों तथा सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को भी जागरूक किया गया है, ताकि जिला में सभी स्वास्थ्य संस्थानों पर निरीक्षण भी करें और देखभाल में आ रही समस्याओं का निपटारा भी करें। जिससे एक गुणवतापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू रूप से जिला में मुहैया हो सके और शिशु मृत्यु दर तथा मातृ मृत्यु दर को कम किया जा सके।
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जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ अनुराधा शर्मा ने बताया कि संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रसव के बाद 48 घंटे तक मां और शिशु को उचित देखभाल दी जा रही है। इस से अधिक जोखिम वाले शिशु जो कम वजन वाले, समय से पूर्व जन्में या दूध पीने में असमर्थ हों, उन्हें अधिक देखभाल, उपचार तथा निगरानी की आवश्यकता होती है। जब यह शिशु एसएनसीयू तथा एनबीएसयू से डिसचार्ज होते हैं तो आशा कार्यकर्ता उन नवजात शिशुओं को घर पर फौलोऑप करेगीं तथा मां और परिवार वालों को खतरों के बारे में घर-घर जाकर जागरूक करेगी।
डॉ वरूण स्त्री रोग विशेषज्ञ ने बताया कि इस अभियान के अंतर्गत आशा नवजात शिशुओं व उनकी माताओं तथा परिवार के सदस्यों को स्तनपान एक घंटे के भीतर, मां के दूध के अलावा 6 महीने तक कुछ न देना, टीकाकरण, स्वच्छता, खतरों के लक्षणों से परिचित करवाएगी। गर्भवती महिलाओं में अधिक जोखिम की पहचान डॉक्टर द्वारा की जायेगी।
जन शिक्षा एवं सूचना अधिकारी सोहन लाल ने बताया कि नवजात शिशुओं में खतरे के लक्षण जिसमें दूध कम पीना, सांस लेने में कठिनाई, तेज सांस, दौरे पड़ना, झटके आना, शरीर का ठंडा पड़ने पर कंगारू मदर केयर देना, उल्टी होना या नाभी नाल में पस हो तो तुरन्त स्वास्थ्य केन्द्र भेजने के लिए लोगों को जागरूक करना है तथा इस अवधि के दौरान अपने भ्रमण का ब्यौरा स्वास्थ्य केन्द्र पर भेजना है।
इस अवसर पर एक बेबी शो का आयोजन किया गया जिसमें प्रथम स्थान पर आदिश दूसरे स्थान पर लोहीतक्ष और तीसरे स्थान पर चित्रांस रहे। सभी को नगद पुरस्कार मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा प्रदान किये गए। इस अवसर पर बाल रोग विशेषज्ञ डॉ वीरेन्द्र ठाकुर ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में डॉ सोनल तथा मातृ एवं बाल अस्पताल की वार्ड सिस्टर, महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ताओं सहित 110 लोगों ने भाग लिया।