नूरपुर अस्पताल में शोपीस बना वेंटीलेटर: मरीजों की टांडा या धर्मशाला जाना मजबूरी, कांग्रेस ने उठाए सवाल

विनय महाजन। नुरपुर

यदि किसी मरीज की सांसें साथ छोड़ रही हों तो उस स्थिति में मरीज को बचाने के लिए वेंटीलेटरजैसे स्वास्थ्य उपकरण की भारी जरूरत होती है लेकिन ऐसा ही एक जीवन रक्षक स्वास्थ्य उपकरण नूरपुर के सरकारी अस्पताल के भीतर पिछले चार साल से पैकिंग से ही बाहर नही निकल पाया है । जिला कांग्रेस अध्यक्ष एवम नूरपुर के पूर्व विधायक अजय महाजन ने नूरपुर के सिविल अस्पताल की लचर स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान बतौर विधायक उनके अथक प्रयासों से उक्त अस्पताल में चार साल पहले यह अति उपयोगी उपकरण उस समय आया था जब यहां आईसीयू के सामान्य और बच्चों के लिए वार्ड बनाये गए थे और वेंटीलेटर भी उपलब्ध करवाया गया था लेकिन सत्ता परिवर्तन होने के चार साल बाद भी उक्त उपकरण पैकिंग रूपी जिन्न से बाहर ही नही निकल पाया ।

जिसके कारण लोगों को टांडा या धर्मशाला में जाना पड़ रहा है या फिर निजी अस्पतालों में लाखों का खर्च उठाने को मजबूर होना पड़ रहा है । महाजन ने कहा कि हाल ही में उक्त अस्पताल में कोविड उपचार केंद्र भी खोला गया है यहां पर भी मरीज की साँसों को बचाने के लिए उक्त उपकरण की भारी जरूरत है बावजूद इसके इस वेंटीलेटर को यहां उपलब्ध होने के बावजूद भी स्थापित नहीं किया गया । महाजन ने कहा कि रैहन क्षेत्र के गोलवां से सम्बंधित एक मरीज हरबंस सिंह जोकि गत 20 दिनों से एक निजी अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ते हुए उपचाराधीन है उस मरीज का करीब 34 लाख खर्च आ चुका है । काश नूरपुर अस्पताल में यह उपकरण लग गया होता तो इस प्रकार के मरीजों को ऐसे हालातों का सामना न करना पड़ता । महाजन ने तंज कसते हुए कहा कि जोनल अस्पताल का सपना दिखाने वाले एक वेंटीलेटर जैसे उपकरण को ही चालू नही करवा पाए ।

उपकरण चलाने के लिए स्टाफ की कमी: सीएमओ कांगड़ा

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. गुरदर्शन गुप्ता ने बताया कि उक्त उपकरण को चलाने में दक्ष स्टाफ की आवश्यकता होती है। स्टाफ के अभाव में इसे स्थापित नहीं किया जा सका। फिलहाल टांडा व धर्मशाला में वेंटीलेटर की सुविधा उपलब्ध है, ऐसी स्थिति वाले रैफरल मरीजों को दोनों स्थानों पर इलाज की व्यवस्था है।