अब इन पर सरकार की नजर, 600 संगठनों की सूची तैयार

उज्जवल हिमाचल ब्यूराे। श्रीनगर

जम्मू-कश्मीर में कुकरमुत्ते की तरह उगे विभिन्न गैर सरकारी संगठन (एनजीओ), सोसायटियों और मदरसों के दिन अब लदने जा रहे हैं। प्रदेश शासन ने करीब 600 संगठनों को अपनी फंडिंग का ब्योरा देने और पंजीकरण का नवीकरण कराने का नोटिस जारी किया है। निर्देश का पालन न करने पर संबंधित संगठन का पंजीकरण रद करने के अलावा कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। कई मदरसों ने खुद का बतौर एनजीओ पंजीकरण करा रखा है। प्रदेश में कई एनजीओ और मदरसों का नाम आतंकी और अलगाववादी संगठनों के साथ भी जुड़ चुका है।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने भी अक्टूबर 2020 में कश्मीर में कुछ एनजीओ के दफ्तरों की तलाशी ली थी। प्रदेश शासन ने कश्मीर संभाग के 446 सोसायटियों, यूनियनों, और संगठनों को 31 मार्च तक अपने चुनाव करानेे, पंजीकरण का नवीकरण कराने और लेखा परीक्षण के दस्तावेज जमा कराने के लिए कहा है। इनमें अनंतनाग में 49, बांडीपोरा में छह, बारामुला में 137, बडग़ाम में 13, गांदरबल में तीन, कुलगाम में 24, कुपवाड़ा में 11, पुलवामा में 21, शोपियां में 41, श्रीनगर के 141 संगठन शामिल हैं। इनमें से करीब छह संगठनों में ही एकबार चुनाव हुए हैं, जबकि अन्य में कभी चुनाव नहीं हुए हैं। वहीं, जम्मू संभाग में भी 136 संगठनों को नोटिस जारी किया गया है।

दो संगठनों की फाइल गुम : जम्मू-कश्मीर महा प्रशासनिक विभाग द्वारा जारी सूची के मुताबिक, दो संगठनों मुस्लिम इस्लाही कमेटी धार बिलावर (कठुआ) और एलओसी के साथ सटे जिला पुंछ के मेंढर में स्थित मदरसा इस्लामिया अरबिया की फाइल भी उपलब्ध नहीं है। इनमें से कइयों ने सिर्फ पंजीकरण के समय अपनी आय और खातों की जांच कराई थी और कइयों ने दो या तीन साल पहले। अधिकतर ने लेखा बही खाता नहीं सौंपा है।

तिब्बती मुस्लिमों का संगठन भी सूची मेें : महा प्रशासनिक विभाग की ओर से तैयार की गई सूची में जम्मू-कश्मीर के पूर्व प्रधानमंत्री बख्शी गुलाम मुहम्मद का नाम भी शामिल है। उनकी अध्यक्षता वाली कश्मीर ओलंपिक एसोसिएशन 1950 में श्रीनगर में पंजीकृत हुई थी। इसके अलावा कश्मीर में तिब्बत से आए मुस्लिम शरणार्थियों की एक एनजीओ द तिब्बतियन मुस्लिम रिफ्यूजी वेलफेयर एसोसिएशन, ईदगाह श्रीनगर भी इस सूची में है।

जमा करवाते हैं सभी दस्तावेज : अल-फैजान चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष जीशान जावेद राणा ने कहा कि मुझे कोई नोटिस नहीं मिला है, लेकिन सूची में हमारा नाम है। हम हर साल अपने दस्तावेजों की जांच कराते हैं और दस्तावेज संबंधित प्रशासन को सौंपते हैं।

अधिकांश संगठन सिर्फ पंजीकरण के समय आए हैं नजर : महा प्रशासनिक विभाग के आयुक्त सचिव मनोज द्विवेदी के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में करीब एक हजार छोटी-बड़ी ट्रेड यूनियनें, एनजीओ, सोसायटियां, मजहबी संगठन व किसान और दस्तकार संगठन हैं, जिन्होंने विभिन्न विभागों के समक्ष अपना पंजीकरण कराया है। सबसे ज्यादा पंजीकरण किसान, दस्तकार और फल उत्पादकों के संगठनों के नाम पर हुए हैं। उसके बाद समाज सेवा करने वाले इस्लामिक नाम वाले संगठन हैं।

कई संगठन केवल पंजीकरण के समय नजर आए या फिर समय पर अपने खातों की जांच का ब्योरा जमा नहीं कराया है। कइयों में आज तक पदाधिकारियों के चयन की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई है। कई संस्थाएं सिर्फ कागजों पर ही नजर आ रही हैं। ऐसे में करीब 600 यूनियनों, सोसायटियों और एसोसिएशन की एक सूची तैयार की गई है और उन्हेंं 31 मार्च 2021 तक सभी औपचारिकताएं पूरी करनी हैं, अन्यथा कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

जरूरी है इन सभी की जांच : पनुन कश्मीर संगठन के अध्यक्ष डा. अजय चुरंगु ने कहा कि हम किसी संगठन विशेष की बात नहीं करते, लेकिन जम्मू-कश्मीर मेें जारी आतंकी हिंसा में बहुत से तथाकथित एनजीओ और मदरसों की भूमिका रही है। प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी और कुछ बहावी तंजीमों के मदरसे अलग-अलग नामों से सक्रिय हैं। कुछ एनजीओ भी हैं, जिन्होंने बहुत चंदा जमा किया है। इसलिए जांच बहुत जरूरी है।