एम्स में एक दिवसीय टैंपोरल बोन डायसेक्शन वर्कशॉप का शुभारम्भ

One day temporal bone dissection workshop begins at AIIMS

उज्जवल हिमाचल। बिलासपुर

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानि एम्स कोठीपुरा बिलासपुर में इएनटी विभाग में नाक और कान की सर्जरी में एक नया अध्याय जुड़ गया है। इस सर्जरी को करने वाले विशेषज्ञ चिकित्सकों के लिए एम्स डायरेक्टर डॉ. वीआर नेगी की अगवाई में एक दिवसीय टैंपोरल बोन डायसेक्शन वर्कशॉप का शुभारम्भ द्वीप प्रज्वलित करके किया।

वॉक्सल-मैन सिमोलेटर मशीन पर हुई इस वर्कशॉप से जहां चिकित्सकों को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा वहीं काफी हद तक डैडबॉडी की उपलब्धता पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि मृत देह दान का ट्रैंड भारत में लगभग समाप्त हो रहा है। कोविड-19 पीरियड के दौरान तो इसमें बहुत कमी आई है। जागरूकता के अभाव में वर्तमान में मृत देह का न मिलना पूरे भारत में चिकिस्कीय क्षेत्र में बड़ी चुनौती है। किंतु वॉक्सल-मैन सिमोलेटर मशीन डैडबॉडी का बेहतर विकल्प साबित होगी।

यह भी पढ़ेंः समाज में अच्छा कार्य करें तभी सैन्य जवानों का बलिदान होगा सार्थक: कुलपति

बहरहाल इस वर्कशॉप को कंडक्ट कर रहे एम्स के एसोशिएट प्रोफैसर डॉ. डार्विन कौशल ने बताया कि जर्मनी से आई यह वॉक्सल-मैन सिमोलेटर मशीन द्वारा किया गया डैमो और वर्कशॉप उतरी भारत की पहली वर्कशॉप रही। जिसमें आईजीएमसी शिमला, नेरचौक मंडी, पटियाला तथा चंडीगढ़ के ग्यारह चिकित्सकों ने भाग लिया। डॉ. डार्विन कौशल ने बताया कि कान व नाक की सर्जरी के लिए थ्री-डी बॉडी कंप्यूटर पर बनाई जाती है तथा सीटी स्कैन की सीडी लोढ जब कंप्यूटर पर लोढ की जाती है तो हैप्टिक टेकनालॉजी के माध्यम से सर्जरी की जाती है।

मशीन के माध्यम से हाथों की मूवमेंट की अच्छे से रीड किया जाता है तथा यह अनुभव होता है कि हाथों द्वारा सर्जरी की जा रही है। चिकित्सकों को सीखने के लिए यह मशीन आने वाले समय में बहुत कारगर साबित होगी, क्योंकि यह मशीन बहुत बड़ा अविष्कार है। सभी चिकित्सकों ने वॉक्सल-मैन सिमोलेटर मशीन पर एक-एक घंटा प्रैक्टिस की तथा अपने अनुभव को अतुलनीय बताया।

संवाददाताः सुरेंद्र जम्वाल

हिमाचल प्रदेश की ताजातरीन खबरें देखने के लिए उज्जवल हिमाचल के फेसबुक पेज को फॉलो करें।