जब खाेने को कुछ नहीं बचा था, तब पराशर बने परदेसी का सहारा

सिडनी की जेल से रिहा करवाया, पत्नी को नौकरी के साथ परिवार की आर्थिक सहायता भी की

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

क्रूज जहाज पर कार्यरत समुद्री नाविक (बारटेंडर) अजय परदेसी की जिंदगी में जब खाेने को कुछ नहीं बचा था, तब ऐसी विकट परिस्थिति में कैप्टन संजय पराशर उस परिवार का सहारा बन गए। पराशर ने न सिर्फ परदेसी को आस्ट्रेलिया की जेल से रिहा करवाने में पूरी मदद की, बल्कि बुरे वक्त में अजय की पत्नी को नौकरी दी और परिवार की आर्थिक सहायता भी समय-समय पर करते रहे। मुंबई में शुक्रवार सुबह परदेसी जब अपने परिवार के साथ लंबे समय बाद मिले, तो उनके घर आने की खुशी में परिवार के सदस्यों की आंखों में खुशी के आंसू थे।

दरअसल एक कथित झूठे केस में फंस जाने के बाद सिडनी की सीमा पुलिस ने परदेसी को गिरफ्तार कर लिया। विडंबना यह थी कि उनका मोबाइल फोन भी जब्त कर लिया गया और जिस शिपिंग कंपनी में कार्यरत थे, के हवाले से बताया गया कि वह भारत लौट आए हैं। परदेसी व उनका पूरा परिवार टूट चुका था। मन हर तरफ से हार चुका था। परिवार की आर्थिक स्थिति का बोझ संभालने वाला भी कोई नहीं था। बुरा वक्त आया तो अपने भी साथ छोड़ गए।

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खैर, मुंबई के बांद्रा में किसी परिचित ने कैप्टन संजय का पता बताया तो पत्नी प्रीति संजय के कार्यालय में पहुंची। जब अपनी व्यथा संजय को सुनाई, तो उन्होंने तुरंत सहायता करने की हामी भरी। इतना ही नहीं प्रीति को अपनी कंपनी में नौकरी दे दी। परिवार जोकि कर्ज के बोझ तले दब गया था के लिए भी आर्थिक सहायता दी। पराशर ने आस्ट्रेलिया में भारतीय दूतावास व राष्ट्रीय मानवािधकार आयोग से संपर्क साधा और विदेश मंत्रालय के समक्ष भी इस मुद्दे को रखा।

वहां के स्थानीय प्रशासन व कानून विशेषज्ञों से बात की और वकीलों ने भी मजबूती से परदेसी का केस लड़ा। अब परदेसी को सिडनी की अदालत ने दोष मुक्त करार दे दिया है और वह अपने घर वापस लौट आए हैं। वहीं, परदेसी का कहना था कि असल जिंदगी में कैप्टन संजय जैसे अनजाने नायक न के बराबर मिलते हैं। उनकी खुशकिस्मती रही कि पराशर ने उनका उस समय साथ दिया, जब जीवन में खोने को कुछ नहीं बचा था। आज अगर वह अपने घर व परिवार के साथ हैं, तो यह सिर्फ और सिर्फ पराशर की मेहरबानी से संभव हुआ है।

बताया कि दिल्ली पहुंचने और उसके बाद मुंबई जाने का सारा प्रबंध भी संजय ने किया था। वहीं, परदेसी की पत्नी प्रीति ने बताया कि संजय उनके लिए भाई से भी बढ़कर हैं। जब जिंदगी में हर तरफ अंधेरा नजर आ रहा था, तब संजय ही थे।  जिन्होंने जीने की लौ दिखाई। कहा कि संजय के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए उनके पास शब्द नहीं है। कैप्टन संजय ने कहा कि वह खुद समुद्र में 20 वर्ष से ज्यादा समय तक रहे हैं। उन्हें नाविकों की समस्याओं का पता है और अगर दुर्भाग्य से कोई भी भारतीय नाविक मुसीबत में फंस जाए तो प्रयास रहता है कि उसे बिना देरी के सहायता उपलब्ध करवाई जाए। ज्ञात रहे कि अब तक पराशर करीब 600 मामलों में 2500 से ज्यादा समुद्री नाविकों की मदद कर चुके हैं।