पराशर द्वारा संचालित जनऔषधि केंद्र बने गरीबी उन्मूलन को लेकर मिसाल

Parashar-run Janaushadhi Kendra became an example for poverty alleviation
पराशर द्वारा संचालित जनऔषधि केंद्र बने गरीबी उन्मूलन को लेकर मिसाल

डाडासीबा: गरीबोें पर मंहगाई दवाईयों का बोझ कम करने और समुचित इलाज के लिए प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्रों में 70 प्रतिशत दवाईयां सस्ती है, लेकिन कैप्टन संजय ने इन कंंद्रों में शत-प्रतिशत दवाईयां बिना किसी कीमत पर उपलब्ध करवाकर गरीबी उन्मूलन को लेकर बड़ी मिसाल पेश की है। परागपुर और डाडासीबा में खोले दो जनऔषधि केंद्रों में अब तक पराशर बारह लाख रूपए से ज्यादा की दवाईयों की चैरिटी कर चुके हैं। अब इन्हीं केंद्रों में हर शनिवार व मंगलवार को मेडीकल कैंपों का भी आयोजन हो रहा है।

दरअसल ग्रामीण क्षेत्रों में कैप्टन संजय ने कई ग्रामीणों के केस स्टडी करने के बाद गरीबों के आर्थिक हालात देखकर इन केन्द्रों में अब सभी मरीजों के लिए दवाईयां नि:शुल्क कर दी। इतना ही नहीं पराशर दवाईयों की होम डिलीवरी भी करवा रहे हैं। इससे विशेष रूप से उन गरीब मरीजों काे फायदा मिल रहा है, जिनके लिए दवाई खरीदने और बस का किराया तक के लिए प्रबंध करना मुश्किल हो जाता है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में पराशर कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। मेडीकल कैंपाें के आयोजन से लेकर जनऔषधि केन्द्रों के माध्यम से संजय लगातार समाज के गरीब वर्ग को राहत पहुंचा रहे हैं। इससे पहले कोरोना की दूसरी लहर में भी पराशर ने करोड़ों रूपए की दवाईयां स्वास्थ्य विभाग को मुहैया करवाई थीं।

वहीं, औषधि केन्द्रों में दवाईयां निशुल्क करने के पीछे पराशर की सोच थी कि क्षेत्र के अस्पतालों में सस्ती दवाईयों की कोई दुकान नहीं है। मेडीकल कैंपों में भी कई ग्रामीणों ने फीडबैक दी कि वे महंगी दवाईयां खरीदने में असमर्थ हैं और कई बार बीमारी से समझौता कर लेना भी उनकी मजबूरी होती है।ऐसे में पहले चरण में संजय ने 75 वर्ष की आयु से ऊपर सभी बुजुर्गों को मुफ़्त दवाईयों का वितरण शुरू किया तो दूसरे चरण में सभी के लिए में भी कई मरीजों को दवाईयां मुफ्त में देने का निर्णय लिया। डाडासीबा से रवि दत्त, नंगल चौक से अनु बाला, बठरा से माड़ू राम, गरली से मलकीयत सिंह, परागपुर से केवल कृष्ण और रक्कड़ से संजय ने बताया कि पराशर के सौजन्य से उन्होंने जनऔषधि केंद्रों में निशुल्क दवाईयां प्राप्त की।

जिन मंहगी दवाईयों को वे खरीदने में असमर्थ थे, उन्हें संजय ने बिना किसी कीमत के उपलब्ध करवाया। वहीं, बुजुर्ग रामकृष्ण और देवराज ने बताया कि पराशर से उन्होंने दवाईयां मंगवाई थीं और दो दिनों के भीतर ही संजय की टीम ने दवाईयों की होम डिलीवरी कर दी। कहा कि जिन दवाओं के अभाव में लोग बीमारी के साथ जीने को विवश थे, अब वे सभी को निशुल्क मिल रही हैं। कैप्टन संजय ने कहा कि दवाईयां कोई भी व्यक्ति शौक से नहीं खरीदता है। उन्हें जब गांवों में कई मरीजों की दवाईयों से संबंधित फीडबैक मिली तो उन्हांने सभी को निःशुल्क दवाईयां उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया। कहा कि जसवां-परागपुर क्षेत्र स्वस्थ रहे, इसके लिए भगवान से प्रार्थना के साथ औषधि केन्द्रों में यह व्यवस्था की गई है।

डाडासीबा ब्यूरों।

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