कब से शुरू होगा पितृ पक्ष? पढें ये खबर

उज्जवल हिमाचल। डेस्क

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह पक्ष पितरों के लिए समर्पित है। साथ ही पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण, श्राद्ध और उनकी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार हर वर्ष भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि और आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तक पितृपक्ष रहता है। इस साल पितृ पक्ष 10 सितंबर शनिवार से आरंभ होकर 25 सितंबर रविवार तक रहेगा। पितृ अमावस्या 25 सितंबर को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं श्राद्ध और तर्पण करने की विधि और महत्व…

जानिए श्राद्ध की विधि और महत्व

हिंदू धर्म में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए 15 दिन पितृ पक्ष के लिए रखे गए हैं। पितृपक्ष के दौरान लोग अपने पूर्वजों का श्राद्धकर्म करते हैं और ऐसा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। लोग अपने पूर्वजों का उस तिथि को श्राद्धकर्म करते हैं जिस तिथि को उनकी मृत्यु हुई है।

इस तिथि को ब्राह्राणों को भोजन कराया जाता है। साथ ही उनको यथाशक्ति दान- दक्षिणा दी जाती है। मान्यता है कि जो लोग अपने पूर्वजों का श्राद्धकर्म नहीं करते हैं उनको पूर्वज श्राप दे देते हैं और उनको पितृ दोष लग जाता है। जिस वजह संतान उत्पत्ति में बाधा, विवाह में बाधा आती है। वहीं अगर पूर्वज आपसे प्रसन्न हैं तो आपकी तरक्की में कोई बाधा नहीं आती है।

गरुण पुराण के अनुसार जिस दिन आप अपने पूर्वजों का श्राद्ध डाल रहे हैं। उस दिन आपको आप घर की दक्षिण दिशा की दीवार में पितरों की फोटो लगाकर उनपर फूलों की माला चढ़ाना चाहिए और उनका पूजन वंदन भी करना चाहिए। इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है।

तर्पण करने की विधि और महत्व…

गरुड़ पुराण के अनुसार आप वैसे तो अपने पूर्वजों का नाम लेकर रोज तर्पण कर सकते हैं। लेकिन सर्व पितृ अमावस्या पर तर्पण करने का विशेष महत्व है। अगर आप सही विधि से तर्पण नहीं कर सकते तो आप किसी योग्य ब्राह्राण से तर्पण करा सकते हैं। इसमें हाथ में कुशा की एक अंगूठी बनाई जाती है। साथ ही तर्पण करने वाले व्यक्ति का मुख दक्षिण दिशा में होना चाहिए।

साथ ही तर्पण में काले तिल, सफेद चंदन, सफेद फूल का प्रयोग किया जाता है। शास्त्रों में 6 प्रकार के तर्पण बताए गए हैं- जिसमें देव तर्पण, ऋषि तर्पण, दिव्य मानव तर्पण, दिव्य पितृ-तर्पण, यम तर्पण और मनुष्य-पितृ तर्पण हैं।

हिमाचल प्रदेश की ताजातरीन खबरें देखने के लिए उज्जवल हिमाचल के फेसबुक पेज को फॉलो करें।