“किसान-बागवानों की मांगों को घोषणापत्र में शामिल करें राजनीतिक दल”

किसानों-बागवानों की मांगों के समर्थन में उतरा संयुक्त किसान मंच

शिमला : हिमाचल प्रदेश में 80 फ़ीसदी किसान-बागवान हैं और कृषि बागवानी के मुद्दों को लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल अभी तक खामोश ही नजर आ रहे हैं। सेब पर आयात शुल्क 100 फ़ीसदी करने की किसान-बागवान लम्बे अरसे से मांग कर रहे हैं, लेकिन बागवानों को अभी तक निराशा ही हाथ लगी है। सोमवार को संयुक्त किसान मंच ने शिमला में प्रेस वार्ता कर किसानों की 20 सूत्रीय मांग पत्र की राजनीतिक दलों को याद दिलाई ओर कहा कि जो भी पार्टी अपने घोषणा पत्र में किसानों बागवानो की मांगो को शामिल करेगा। किसान मंच उसका सहयोग करेगा।

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संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने कहा कि उनका कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है। वे केवल यह चाहते हैं कि राजनीतिक दल अपने घोषणापत्र में किसान-बागवानों की मांगों को शामिल करें। उन्होंने सरकार को जो 20 सूत्रीय मांगपत्र दिया वह पूरा नहीं हुआ। कांग्रेस ओपीएस बहाली की बात तो कर रही है लेकिन किसानों बागवानो की कोई बात नहीं हो रही। चौहान ने कहा कि आजाद उम्मीदवारों ने को भी मांग पर सेब का चुनाव चिन्ह मिला है। ऐसे में वे चाहते हैं कि सेब बागवानों के हितों के बाद भी इन विधानसभा चुनाव में की जाए। उन्होंने कहा कि सभी बागवान वोटरों से भी अनुरोध किया है कि जब भी कोई राजनीतिक दल उनके घर पर वोट मांगने आए, तो वह अपने हितों के बारे में राजनीतिक दलों से सवाल करें।

संवाददाता : ब्यूरो शिमला

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