नहीं रहा रामलीला कमेटी व मंचन सदस्यों में 1986 वाला जोश

अजीत वर्मा। जयसिंहपुर

ऐसा दौर भी आएगा कभी सोचा नहीं था, कोरोना संकट से इनसान तो क्या भगवान के मंदिर भी अछूते नहीं रहे। यह बुरा दौर खट्टी-मीठी यादें छोड़ धीरे-धीरे गुजरने लगा व जीवन सामान्य होने लगा तथा धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन शुरू हुआ। त्यौहारों का मौसम होने तथा नवरात्रा उत्सव के चलते जयसिंहपुर में रामलीला का मंचन बड़े हर्षोल्लास के साथ किया जाता रहा है, लेकिन इस बार कोई हलचल रामलीला कमेटी के सदस्यों में देखने को नहीं मिली। नवरात्रे शुरू होने को अब डेढ़ हप्ते से भी कम समय रह गया है, लेकिन अभी तक न तो कमेटी की कोई मीटिंग हुई न ही रामलीला मंचन की परमिसन के लिए आवेदन किया गया।

हालांकि कमेटी पिछले लगभग 60 वर्षाें के अपनी संस्कृती को संजोए भगवान राम के आदर्शों को रामलीला मंचन द्वारा लोगों तक पहुंचा रही है। जयसिंहपुर का राज्य स्तरीय दसहरा भी रामलीला एवं दसहरा कमेटी द्वारा वर्ष 1986 से तहसील स्तर पर शुरू किया था। कमेटी की मेहनत व अथक प्रयासों से वर्ष 1987 में कांग्रेस सरकार में शिक्षा मंत्री एनसी पराशर द्वारा जिला स्तरीय घोषित कर दिया गया।

रामलीला कमेटी एवं दशहरा कमेटी के निरंतर प्रयासों से वर्ष 2010 में जयसिंहपुर के दशहरा उत्सव को भाजपा सरकार के समय मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल द्वारा राज्य स्तरीय दर्जा प्राप्त हुआ, जो कमेटी व सरकार के प्रयासों से निरंतर जारी है, लेकिन समय की बिडंबना कहें या कमेटी की आपसी खींचतान कि जयसिंहपुर के ऐतिहासिक मैदान में दो कमेटियों द्वारा दो अलग-अलग मंच बनाकर रामलीला का मंचन किया जाने लगा।

आपसी तालमेल न होने के कारण अब कमेटी सदस्यों में दबी जुबान कमेटी के चुनाव करने की बात उठने लगी है। कमेटी सदस्यों का कहना है कि पिछले लगभग बीस 25 वर्षों से रामलीला मंचन कर रही कमेटी को समय-समय पर बदलना चाहिए था। यह भी एक कारण हो सकता है कि मंचन सदस्यों व कमेटी सदस्यों की विचारधारा आपस में मेल नहीं खा रहे हो। कमेटी सदस्यों का यह भी कहना है कि कब रिहर्सल होगी, कब मंचन होगा, इसका कोई अता पता नहीं है, जिस कारण भी पिछले वर्षों की भांति रामलीला मंचन का आगाज नहीं हो पा रहा है।