रानी सुनैना के बलिदान को याद करके चैत्र मास में होता है इस मेले का आयोजन

Remembering the sacrifice of Rani Sunaina, this fair is organized in the month of Chaitra.
रानी सुनैना के बलिदान को याद करके चैत्र मास में होता है इस मेले का आयोजन

उज्जवल हिमाचल। चंबा
चंबा शहर (Chamba City) का इतिहास करीब 1100 वर्ष पुराना है, इससे पूर्व चंबा का नाम चंपावती के नाम से हुआ करता था। बताते चले कि 10वीं शताब्दी में जनजातीय क्षेत्र भरमौर के महाराजा साहिल वर्मन ने चंबा में आकर इस रियासत को बसाया था और इसका नाम उन्होंने अपनी बेटी चंपावती के नाम से रखा।

समय बीतने के साथ धीरे-धीरे इस शहर का नाम चंबा हो गया। राजा साहिल वर्मन ने चंबा रियासत को तो बसा लिया पर यहां पर पानी की बहुत बड़ी किल्लत थी। ऐसे में इस रियासत के लोग धीरे-धीरे चंबा से पलायन करने लगे। देवरूपी राजा साहिल वर्मन को उनकी कुल देवी ने स्वपन में दृष्टांत दिया कि अगर तुम अपनी प्रजा की भलाई चाहते हो तो अपने राज परिवार से अपनी, या फिर बेटे की बली देनी होगी तो ही तुम्हारे राज्य में पानी आ सकेगा।

चिंता में डूबे राजा साहिल वर्मन ने यह सारी घटना अपनी महारानी रानी सुनैना को सुनाई। उन्होंने तत्काल फैसला लेते हुए कहा कि प्रजा की खुशहाली के लिए मैं अपने प्राणों का बलिदान दूंगी और उन्होंने वैसा ही किया। राजमहल से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर मलूना नामक स्थान पर उन्हें राजकीय सम्मान के साथ बड़े दुःखी मन से मलूणा नामक स्थान पर ले जाया गया और जिंदा ही उनको दफना दिया गया और जैसे ही उनकी समाधि बनी।

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वैसे ही वहीं से पानी की धारा फूट पड़ी। इतिहास के पन्नों में दर्ज रानी सुनैना की यह बलिदान की दासतां आज भी उसी परंपरागत ढंग से चली आ रही है और चंबा के स्थानीय लोग इस मेले को आज भी बड़े ही धूमधाम से मनाते चले आ रहे हैं। सुही माता का यह मेला हर वर्ष चैत्र मास की 15वीं प्रविष्ठे को मनाया जाता है और यह मेला तीन दिनों तक सुहीमाता मंदिर तक लगातार चलता है।

आपको बता दें कि यह मेला खासकर महिलाओं के लिए ही आयोजित किया जाता है और इस मेले में जनजातीय क्षेत्र भरमौर से आई गद्दी समुदाय की महिलाएं ज्यादातर भाग लेती है। इस मौके पर पहुंचे चंबा सदर के विधायक नीरज नैय्यर, कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेता आशा कुमारी ने चंबा के लोगों को इसकी मुबारकबाद दी और कहा कि रानी सुनैना के इस बलिदान को आज भी चंबा के लोग नहीं भुला पाए है और इसी के चलते हर वर्ष चैत्र मास में इस मेले का आयोजन भी किया जाता है। इस मौके पर कई अन्य गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद थे।

संवाददाताः शैलेश शर्मा

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