टैक्सी चालकों ने प्रशासन को लिया आड़े हाथों

उज्जवल हिमाचल । फतेहपुर

टैक्सी यूनियन ने रैहन व राजा का तालाब ने प्रशासन पर आरोप लगाया है कि इन क्षेत्रों में टैक्सी परमिट गाड़ियां होने के बाबजूद प्रशासन सरकारी विभागों में उनकी गाड़ियों की सेवाओं को लेने की बजाय निजी वाहन चालकों की सेवाएं ले रहा है।

टैक्सी यूनियन के विक्रम सिंह व अशोक कुमार निवासी छत्र जोगियां, पिंका जाझवां, नरेश कुमार रैहन, शमशेर सिंह वरोह,सुशील कुमार नकोदर का कहना है कि पैसेंजर टैक्स, टोकन टैक्स, फिटनेस टेस्ट, पासिंग देने के बाबजूद उन्हें सरकारी रेटों से कोई दिक्कत नहीं है। टैक्सी यूनियन का कहना है कि लॉक डाउन के चलते वो अपने वाहनों को खड़ा करके वो अपने घरों में बैठे हुए हैं।

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इस दौरान प्रशासन द्वारा किराये पर लेकर निजी वाहनों को प्राथमिकता देकर विभिन्न सरकारी कामों के लिए लगाया गया है । इनका कहना है कि सभी सरकारी प्रक्रियाओं से गुजरने के उपरांत उनके ऊपर लाखों का बैंक ऋण खड़ा है। जबकि इंसोयोरेन्स, बैक क़िस्त, बैंक ब्याज की चिंता हर समय उन्हें सताती है। कोविड-19 की वजह से लॉक डाउन के चलते उनका धंधा बिल्कुल ठप्प पड़ा है । वहीं गाड़ियां बंद होने व रोजाना होने वाले घर के खर्चे से उनकी जेबें भी खाली हो चुकी हैं। परन्तु प्रशासन दवारा उनकी तरफ ध्यान न देकर निजी वाहनों को तबज्जो देकर सरकारी कामों में लगाया गया है ।

टैक्सी चालकों का कहना है कि साल भर के उनके कुल खर्चे लगभग साठ से सत्तर हजार तक बैठते हैं। धंधा बंद होने के वाबजूद उन्हें यह सब वहन करने होंगे। इनका कहना है कि चुनावों में प्रशासन ने इनकी गाड़ियों को किराये पर लिया था। वहीं राजेश कुमार निवासी पंजाहड़ा का कहना है कि 28, 29 अप्रैल व 5 मई को उन्हें अपनी सवारी को लेकर पावंटा साहब, लुधियाना व दिल्ली जाना था। परन्तु उनका आवेदन रद्द हो गया। जबकि पिंका का कहना है कि उसे 27 अप्रैल व 4 मई को सवारी को लेकर ऊना व लुधियाना जाना था। परन्तु आवेदन स्वीकार नहीं हुआ।

ऐसे में सरकारी विभागों में अगर टैक्सी मालिकों की गाड़ियों को लगाया गया होता। तो उनकी रोजी रोटी सुचारू चल पड़ती सभी का कहना है कि इसके अलावा निजी वाहनों में भी सवारियों को ढोया जाता है। ऐसे में भी उनका चालान नहीं किया जाता। सभी टैक्सी चालकों ने जिला उपायुक्त से इस दिशा में कड़े पग उठाने का आग्रह किया है। ताकि उनका भी परिबार पल सके ।