श्वेत पत्र में मोदी सरकार ने यूपीए का खोला कच्चा चिट्ठा…! 10 सालों में किए बड़े घोटाले

उज्ज्वल हिमाचल। धर्मशाला
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता राकेश शर्मा ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में लाया गया श्वेत पत्र पूर्व  यूपीए सरकार में वर्ष  2004 से लेकर 2014 तक की कार्यशाली का एक नमूना है। जारी प्रेस बयान में भाजपा प्रवक्ता राकेश शर्मा ने कहा कि वर्ष 2004 में देश की प्रगति ठीक चल रही थी और आर्थिक स्थिति भी ठीक थी, परंतु मनमोहन सिंह और उनकी सरकार सोनिया गांधी की सरकार में जिस प्रकार का मिस मैनेजमेंट हुआ है उसके कारण देश की आर्थिक स्थिति लगातार गिरती चली गई। महंगाई दर बढ़ती चली गई और प्रोडक्टिविटी घटती चली गई। राकेश शर्मा ने कहा कि पूर्व यूपीए सरकार में 15 बड़े घोटाले करीब 20 लाख करोड रुपए के हुए और देश की छवि विश्व स्तर पर खराब हुई। पहले देश में स्कैम होते थे, लेकिन पीएम मोदी के देश को सत्ता संभालने के बाद देश में हर वर्ग के लिए स्कीमें बनती हैं।
8.7 फीसदी के ऊपर लाकर किया खड़ा 
राकेश शर्मा ने कहा की केंद्र में कांग्रेस शासन के दौरान वर्ष 2004 से 2014 में महंगाई दर 8.2 पर्सेंट थी और जो लगातार प्रयास के बाद पिछले 10 सालों में महंगाई दर 5 फीसदी के ऊपर लाकर खड़ी की है। इसी प्रकार जो ओवरऑल जीडीपी थी वह 8 फीसदी थी। 2 साल कोविड होने के बावजूद जो विकास दर है उसको 8.7 फीसदी के ऊपर लाकर खड़ा किया।
उन्होंने कहा कि बजट का पूंजीगत निवेश कांग्रेस शासन में केवल 16 फीसदी था अर्थात इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए विकास के लिए जो राशि थी वह केवल 16 फीसदी थी और मोदी सरकार ने उसको बड़ा करके 28 के ऊपर पहुंचाया।जिसके कारण बड़ी मात्रा में सड़कों का रेलवे का जल संसाधनों का बहुत बड़ा विकास, गरीबों के लिए इस्तेमाल होने वाला जो पैसा है जिससे गरीबी उन्मूलन होती है वेलफेयर की स्कीम है।
यूपीए सरकार के  निराशाजनक निवेश माहौल के कारण विदेश जाने लगे घरेलू निवेशक
राकेश शर्मा ने आरोप लगाया कि यूपीए सरकार के तहत निराशाजनक निवेश माहौल के कारण घरेलू निवेशक विदेश जाने लगे। यूपीए सरकार में बार-बार नेतृत्व का संकट पैदा होता रहा। सरकार द्वारा जारी एक अध्यादेश को सार्वजनिक रूप से फाड़ने की शर्मनाक घटना सामने आई। यह तो स्पष्ट है कि मनमोहन सिंह सरकार के दस साल का कार्यकाल आर्थिक कुप्रबंधन, वित्तीय अनुशासनहीनता और भ्रष्टाचार का कालखंड था। तब हमने खराब स्थिति पर श्वेत पत्र लाने से परहेज किया। अगर तब ऐसा किया होता तो निवेशकों समेत कई लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता और इससे आर्थिक व्यवस्था पर असर पड़ता।

ब्यूरो रिपोर्ट धर्मशाला

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