राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान सुनिश्चित करें युवा : कैप्टन संजय

चलाली व बगली गांवों में युवा संवाद कार्यक्रम में पराशर ने लिया भाग

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

कैप्टन संजय ने कहा है कि स्वामी विवेकानंद आज भी युवाओं के प्ररेणास्त्रोत हैं। युवा वर्ग को उनके जीवन व विचारों से शिक्षा लेनी चाहिए। बुधवार को चलाली गांव में राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर आयोजित संवाद कार्यक्रम में पराशर ने कहा कि स्वामीजी को आदर्श मानकर युवाओं काे राष्ट्र के निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। संजय ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने अपनी युवा अवस्था में भारत को विश्व का एक महान राष्ट्र होने की स्थिति में लाकर खड़ा किया था। वो एक सच्चे प्रतिनिधि थे, जिन्होंने युवाओं में वीरता, साहस का भाव जगाते हुए भय व कमजोरी को पाप कहा था। स्वामी ने अपनी आध्यात्मिक प्रेरणा से युवाओं में आत्म विश्वास पैदा किया। उन्होंने अपनी ओजस्वी वाणी से लोगों में ईश्वर भक्ति के साथ-साथ राष्ट्र भक्ति की भावना को पैदा किया।

पराशर ने कहा कि आज का भारत युवा भारत है। देश की आबादी का लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा युवाओं का है। दिलचस्प यह भी है कि भारत में युवाओं की बढ़ रही संख्या विदेशियों में हलचल पैदा कर रही है। चीन सहित अधिकतर देश चिंतित हैं कि 2040 में भारत में सब से ज्यादा युवा होंगे और अगर युवाओं को सही मागदर्शन व प्लेटफार्म मिलता है कि तो भारत एक महाशक्ति के रूप में उभरेगा। कहा कि हम सभी इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि आजादी की लड़ाई में अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले ज्यादा युवा ही थे। जिन्होंने इस राष्ट्र के लोगों के अंदर क्रांति के बीजों को रोपित किया। हमारा इतिहास इस बात का साक्षी है कि इस धरा की प्यास को शांत करने वाले भगीरथी युवा ही थे, जिन्होंने अपनी निरंतर मेहनत से गंगा को स्वर्ग से इस पृथ्वी पर उतारा।

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पराशर ने कहा कि वह आज 50 वर्ष की आयु में अपना परिचय ढूंढ रहे हैं, तो सरदार भगत सिंह ने मात्र 23 वर्ष की उम्र में राष्ट्र के लिए सबसे बड़ी कुर्बानी देकर खुद को सदा-सदा के लिए अमर कर दिया था। इसलिए हमें समझना होगा कि युवा राष्ट्र एवं समाज का प्राण हुआ करते हैं। राष्ट्र के निर्माण में सबसे ज्यादा योगदान युवओं का ही होता है। युवा राष्ट्र का भूत एवं भविष्य को जोड़ने का सेतु होने के साथ ही ये समाज के नैतिक मूल्यों का भी प्रतीक होते हैं। देश की युवा शक्ति ही राष्ट्र को जीवन मूल्य एवं सांस्कृतिक विरासत का प्रसार एवं आधार प्रदान करती है।

इस विश्व में भारत ही वो देश है, जिसके युवओं में आध्यत्मिक एवं सांस्कृतिक मूल्य, स्वाभिमान, राष्ट्र प्रेम, मानव सेवा एवं देश भक्ति आदि काल से ही चले आ रहे हैं। बावजूद आज के युवाओं को उनके द्वारा बदल रहे आदर्शों का आत्मवलोकन करने की आवश्यकता है। युवा वर्ग को समझना होगा कि वे नैतिक मूल्यों के साथ अगर जीवन में आगे बढ़ेंगे, तो लक्ष्य को जरूर हासिल करेंगे।