नूरपुरः हिमाचल प्रदेश में पोस्टल बैल्ट के माध्यम से हो रही स्लो वोटिंग को लेकर मुलाजिमों व पैंऩशरों में चुनाव आयोग की कारगुजारी को लेकर अब काफी रोष पनपने लगा है। वह सरकारी मुलाजिम जिन्होने चुनावों में डूयटीयां दी थी वह 6 दिसंबर तक अपना वोट डालने मे जुट गये है।
सरकारी हवाले के माध्यम से रोजाना भारतीय डाक विभाग नूरपुर, इन्दौरा, फतेहपुर व ज्वाली विधान सभा हल्कों में रोजाना डाक के माध्यम से आ रही पोस्टल वोट सरकारी मुलाजिमों तक पहुचाने में रात दिन जुटा हुआ है। ऐसे मुलाजिम जो दूरदराज हल्के में डयूटीयां दे रहे हैे।
उन्हे भी पोस्टल बैल्ट के द्वारा वोट डालने की सेवा डाक विभाग कर रहा है। कुछ ऐसे भी मुलाजिम है जो सरकारी निर्धारित मतदान केन्द पर तहसील स्तर के ऑफिस में वोट डाल रहे है। वोट डालने का समय सुबह दस बजे मे लेकर शाम चार बजे तक है। उसके बाद वोट कास्ट करने की रिपोर्ट रोजाना मुख्यालय में भेजनी पडती है।
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उधर, हिमाचल प्रदेश के सैनिक भी अपनी पोस्टल वोट डाक द्वारा भेज रहे हैं। उल्लेखनीय यह है कि आठ दिसबंर को मतगणना होगी ? किस पाटी को ऱाजयोग मिलेगा। मतदाता रिवाज बदलते है या रिवाज कायम रहता है। यह मुद्दा कांगेस व भाजपा का विशेष रुप से चुनावों में था।
जनता ने अपना वोट खामोशी से मत की पेटीयों मे बन्द करके अपनी चुप्पी साध ली है परन्तु सियासी पार्टीयों के कैंडीडेटों की नींद हराम कर दी है। हिमाचल प्रदेश के सभी मतगणना केन्दों पर सुरक्षा का सख्त बंदोबस्त होने से मतदाता खुश है।
राज्य के चुनाव आयोग ने इस बार मतदाताओं को जागरुक करने के लिए हर कदम पर जो जागरुक अभियान करवाया था। उसके परिणाम हिमाचल प्रदेश मे काफी सकारात्मक आए लेकिन पोस्टल बैल्ट वोट पर चुनाव आयोग सुस्त नजर दिखाई दे रहा है। हिमाचल प्रदेश मे वोट की परसैंटेज बढने से सियासी पार्टीयों के नेताओ की नींदें हराम हैं लेकिन दोनों सियासी पार्टीयो के नेता मुख्यमंत्री से पद की लडाई लड रहे है।