पत्थरों के बीच सिसक रहा चन्नौर का औद्योगिक क्षेत्रः संजय पराशर

Channaur's industrial area sobbing between stones: Sanjay Parashar
पत्थरों के बीच सिसक रहा चन्नौर का औद्योगिक क्षेत्रःसंजय पराशर

डाडासीबाः संजय पराशर ने कहा है कि विकास के कथित दावे करने वालों को चन्नौर का औद्योगिक क्षेत्र चिढ़ाता हुआ प्रतीत होता है। खुद पत्थरों के बीच सिसक रहा यह औद्योगिक क्षेत्र यह बताने के लिए काफी है कि जसवां-परागपुर क्षेत्र के युवाओं के साथ पिछले पांच वर्षों में सिर्फ और सिर्फ मजाक ही किया गया है।

मंगलवार को गंगोट, चलाली, कड़ोआ और लग बलियाणा पंचायतों में जनसंवाद कार्यक्रमों में स्थानीय जनता से रूबरू होते हुए कैप्टन संजय ने कहा कि इस इंडस्ट्रीयल एरिया में जहां उद्योगों की आवाज और श्रमिकों की चहल-पहल होनी चाहिए थी, वहां अब भी मरघट सी खामोशी छाई हुई है।

इस औद्योगिक क्षेत्र पर करोड़ों रूपए खर्च हुए, लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि कुछ किलोमीटर सड़क बनाई गई है, लेकिन वो भी अब तक कच्ची है। इस औद्योगिक क्षेत्र में उद्योग दूर-दूर तक नजर नहीं आते हैं। इतना पैसा खर्च करने के बावजूद औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार क्यों नहीं हो पाया, यह अपने आप में बड़ा सवाल है।

संजय ने कहा कि ऐसी ही बानगी संसारपुर औद्योगिक क्षेत्र की रही है। इस क्षेत्र को उसके हाल पर छोड़ दिया गया और नए उद्योगों के लगने की बात तो दूर पुराने उद्योग तक बंद हो गए। बडाल में खाली पड़ी सात हजार कनाल भूमि का सदुपयोग किया जा सकता था, लेकिन यहां भी जमीनी स्तर पर काम नहीं हो पाया।

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क्षेत्र के अलोह गांव में तीन सौ कनाल भूमि पर नजर-ए-इनायत को तरसता रहा। कहा कि अगर विजन व इच्छाशक्ति से काम किया होता तो जसवां-परागपुर क्षेत्र के युवाओं को घर-द्वार पर ही रोजगार के अवसर उपलब्ध होते।

पराशर ने कहा कि योजनाओं को आकार देने में ज्यादा समय खर्च नहीं होना चाहिए। हद तो यह है कि कुछ लोग पिछले 25 वर्ष से राजनीति में होने की दुहाई देते फिर रहे हैं, लेकिन उनसे यह पूछा जाना चाहिए कि अगर इतना समय सियासत में बिताने के बावजूद भी वे जसवां-परागपुर क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में कोई खास उपलब्धि नहीं कर पाए तो अगले पांच वर्ष के लिए जनता उन्हें मौका क्यों दे।

संजय ने कहा कि रोजगार हासिल करने की भी एक उम्र होती है। आयु सीमा गुजर जाने के बाद फिर युवाओं को खुद को जीवन में स्थापित करने के लिए कड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। जसवां-परागपुर क्षेत्र के कई युवाओं के साथ भी ऐसा अन्याय हुआ है। वे रोजगार न मिल पाने के कारण हताश व निराश हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में भी जसवां-परागपुर क्षेत्र बीते पांच वर्षों में पिछड़ा रहा। प्राथमिक विद्यालयों से लेकर महाविद्यालयों में शैक्षणिक स्टाफ का अभाव रहा और इससे विद्यार्थियों का भविष्य भी दांव पर लगता हुआ दिखाई दिया। पराशर ने कहा कि भविष्य में अब स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की बात उनके मुंह से सुनने को मिल रही है, जिन पर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का जिम्मा था।

सच यही है कि बीते पांच साल में गरीब आदमी की कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने क्षेत्र की जनता से आह्वान किया कि उन पर बिल्कुल भरोसा न करें जो चुनाव के दिनों में झूठे सब्जबाग दिखाते हैं।

संवाददाताः डाडासीबा ब्यूरो

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