उज्जवल हिमाचल । डेस्क
कोरोना का असर हर किसी पर पड.ने लगा है। इस महामारी ने लोगों को बड़े पैमाने पर आर्थिक रूप से प्रभावित किया है। कई लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है, जबकि कई पहले से कम सैलरी में काम करने को मजबूर हैं। इस ‘मजबूरी’ में लोग ऐसे काम भी करने लगे हैं, जिसे समाज में अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता। दरअसल ब्रिटेन में आर्थिक तंगी के चलते कॉलेज जाने वालीं लड़कियां जिस्मफरोशी के दलदल में उतर रही हैं। यह खुलासा एक संस्था ने किया है, जो प्रॉस्टीट्यूट्स के लिए काम करती है। ‘इंग्लिश कलेक्टिव ऑफ प्रॉस्टीट्यूट’ नाम की संस्था के मुताबिक, उसे लगातार यूनिवर्सिटी और कॉलेज से सेक्स वर्क को लेकर कॉल्स आ रहे हैं। इस साल यह कॉल तीन गुना तक बढ़ गए हैं। ज्यादातर ऐसी स्टूडेंट्स जिस्मफरोशी के धंधे में उतरने के लिए कॉल कर रही हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी है। इन स्टूडेंट्स के लिए खर्चे चलाना मुश्किल हो गया है, इसलिए वे सेक्स वर्क के जरिए पैसा कमाना चाहती हैं।
ट्यूशन फीस में बढ़ोतरी की वजह से छात्राओं ने उठाया कदम
ऐसे में कॉलेज-यूनिवर्सिटी की ट्यूशन फीस में बढ़ोतरी की वजह से छात्राओं के सामने समस्या खड़ी हो गई है। कुछ स्टूडेंट्स जो पार्ट टाइम जॉब आदि करके अपना खर्चा चला रही थीं, उनमें से कई की नौकरी भी जा चुकी है। ऐसी स्थिति में उनके पास प्रॉस्टीट्यूशन के सहारे पैसा कमाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है। वॉटसन ने कहा कि महामारी के चलते इन स्टूडेंट्स के लिए पारंपरिक जॉब्स भी काफी कम हो चुकी हैं। उन्होंने आगे कहा कि आमतौर पर स्टूडेंट्स मॉल्स, शॉप्स या पब-बार में काम करते रहे हैं, लेकिन महामारी के चलते इन पार्ट टाइम प्रोफेशन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है।
कई स्टूडेंट्स सेक्स वर्क में शामिल होने के लिए मजबूर
लिहाजा, ऑप्शन की कमी के चलते ही कई स्टूडेंट्स सेक्स वर्क में शामिल होने के लिए मजबूर हुई हैं। आपको बता दें कि इस संस्था की शुरुआत साल 1975 में हुई थी। इसका मुख्य मकसद सेक्स वर्कर्स को उनके अधिकारों के लिए जागरूक करना और सेक्स वर्कर्स की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।