हिमाचल में धनतेरस के लिए सज गए बाजार

Markets decorated for Dhanteras in Himachal
हिमाचल में धनतेरस के लिए सज गए बाजार

शिमला: हिमाचल प्रदेश में धनतेरस के लिए बाजार सज गए हैं। राजधानी शिमला से लेकर कांगड़ा के बर्तन बाजार से लेकर आभूषण की दुकानों पर विशेष आफर भी चल रहे हैं। प्रदेशभर के बाजार में कारोबारियों ने दीपावली से लेकर धनतेरस के सामान से दुकानें सजा रखी हैं। बर्तन ही नहीं बल्कि सोने व चांदी की दुकानों पर भी भीड़ दिख रही है। इस दौरान लोगों को आकर्षित करने के लिए सभी ने बिक्री पर अच्छे आफर दिए हैं। धनतेरस पर खरीदारी को शुभ माना जाता है। धनतेरस पर पूजा का भी विशेष महत्‍व है।

धनतेरस पर खरीदारी का चलन बढ़ा

इसी तरह से शहर में इलेक्ट्रानिक्स दुकानों पर भी लोग खरीदारी के लिए पहुंच रहे हैं। धनतेरस के दिन नए बर्तन से लेकर गहने की खरीदारी को शुभ माना जाता है। इसलिए इसके लिए दुकानदारों की ओर से तैयारी की गई है। शनिवार को धनतेरस पर काफी लोग बर्तन, गहने व अन्य सामान खरीदते हैं। अब धनतेरस पर सामान खरीदने का चलन पहले के मुकाबले बढ़ गया है।

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धनतेरस का महत्व

शास्त्रों के अनुसार धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी समुद्र मंथन के दौरान हाथों में अमृत से भरा स्वर्ण कलश लेकर प्रकट हुए थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान धनवंतरी ने कलश में भरे हुए अमृत को देवताओं को पिलाकर अमर बना दिया था। धनवंतरी के जन्म के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। धनवंतरी के जन्म के दो दिन बाद देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं, इसलिए दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन खरीदारी को शुभ माना जाता है।

यह है धनतेरस की पूजा-विधि व मुहूर्त

धनतेरस पूजा का मुहूर्त शनिवार को शाम सात बजकर एक मिनट से रात आठ बजकर 17 मिनट तक रहेगा। पूजन की अवधि एक घंटा 16 मिनट की है। धनतेरस की संध्या पर शुभ मुहूर्त में उत्तर दिशा में मां लक्ष्मी, भगवान धनवंतरी और कुबेर जी की स्थापना करें। इसके बाद घी का दीपक जलाएं और चंदन का तिलक लगाएं। पूजा के समय कुबेर के मंत्र ओम ह्रीं कुबेराय नमः का 108 बार जाप करें और धनवंतरी स्तोत्र का पाठ करें।

इस दिन कुबेर को सफेद मिठाई और धनवंतरी को पीली मिठाई का भोग लगाना शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी और गणेश का पूजन भी अवश्य करें। मां लक्ष्मी के समक्ष भी दीपक जलाएं और तिलक लगाएं। मां लक्ष्मी और गणेश को फल, फूल, मिठाई अर्पित करें। इसके बाद मां लक्ष्मी की आरती उतारें।
शिमला ब्यूरो।

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