उज्जवल हिमाचल। नूरपुर
कल विधायक होशियार सिंह ने पोंग बांध विस्थापितों को नर्मदा की तर्ज पर मुआवजा देने की मांग रखी। विस्थापित पिछले 60 वर्षों से दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। तुरंत हिमाचल प्रदेश व राजस्थान सरकार ने बांध विस्थापितों के प्रति अपना रवैया नहीं बदल रही है। प्रदेश में जितनी भी सरकारें आई हैं।
पोंग बांध विस्थापितों को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती रही हैं। इन विस्थापितों को जो नए आवंटित किए जा रहे हैं, अति दुर्गम क्षेत्र जैसलमेर व रामगढ में है तथा आवंटित भूमि का कुछ भाग पाकिस्तान की सीमा के पार भी पड़ता है, प्रदेश पौग बांध विस्थापित कमेटी इसका जोरदार विरोध करती है।
समिति ने आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार विस्थापितों के हितों के साथ खिलवाड़ कर रही है व समस्याओं को हल करने की बजाय मूकदर्शक बनी हुई है। प्रदेश पौग बांध विस्थापित समिति का आरोप है कि पिछले 60 वर्षों से पोंग बांध विस्थापितों की समस्याओं को हल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
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विस्थापित समिति का कहना है कि उच्च न्यायालय के निर्णय अनुसार विस्थापित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ही भूमि आवंटित की जानी थी। जहां पर उन्हें हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध हो सके, लेकिन विस्थापितों को पाकिस्तान की सीमा के साथ जैसलमेर, रामगढ़ ,मोहनगढ़, नाचना जैसे दुर्गम क्षेत्रों में भूमि आवंटित की गई है, यहां पर बिजली पानी जैसी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है।
विस्थापित समिति का कहना है कि यदि प्रदेश सरकार ने विस्थापितों के हितों की रक्षा करने के लिए ठोस निर्णय नहीं लिया, तो समिति पुणे आंदोलन करने पर मजबूर होगी। वहीं, देहरा के विधायक होशियार सिंह ने कहा की पूर्व भाजपा सरकार ने पोंग बांध विस्थापितों की समस्याओं को हल करने का आश्वासन दिया था लेकिन वह भी अपने वादे से मुकर गई।