ज्वाली: ज्वाली विधानसभा क्षेत्र से समाजसेवी संजय गुलेरिया ने 2012 के विधानसभा चुनावों में ज्वाली से राजनीति में कदम रखते हुए आजाद उम्मीदवार के रूप में अपना पहला चुनाव लडा था जिसमें संजय गुलेरिया को एक छोटे से अंतराल में सम्मानजनक वोट मिले। जिसका परिणाम यह हुआ कि ज्वाली से भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। संजय गुलेरिया ने 2012 के बाद लगातार अपने विधान सभा क्षेत्र के लोगों से दुःख सुख की घड़ी में शामिल होने का दृढ़ निश्चय किया।
2017 के विधानसभा चुनावों के आते आते संजय गुलेरिया पूरे विधान सभा क्षेत्र में अपनी पैठ कायम कर चुके थे लेकिन भाजपा हाई कमान ने संजय गुलेरिया के साथ विचार विमर्श करने उपरांत पार्टी के शीर्ष नेताओं के सुझाव का स्वागत करते हुए चुनाव न लडने का फैसला लिया। जिसके बलबूते पर ज्वाली से कमल का फूल खिला। लेकिन उसके बाद भी समाजसेवी संजय गुलेरिया ने लोगों की दुःख की घड़ी में लोगों का साथ नहीं छोड़ा। यहां तक कि कोरोना काल में भी संजय गुलेरिया बिना किसी डर, भय से लोगों के बीच सेनिटाइजर, मास्क, दवाइयां लेकर लोगों के दरवाजे पर पहुंचते रहे।
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2012 से लेकर 2022 तक के अंतराल में अब संजय गुलेरिया लोगों के दिलों की धड़कन बन चुके है। 2022 के विधानसभा के चुनावों में सबसे रोचक बात यह उबर कर सामने आई कि पहले संजय गुलेरिया चुनाव लडने की मंशा रखते थे लेकिन अब ज्वाली विधान सभा की जनता संजय गुलेरिया के नम्र स्वभाव, समाजसेवी भावना, बिना किसी स्वार्थ से लोगों की हर किस्म की सहायता करने से इतनी प्रभावित हुई है कि अब संजय गुलेरिया को ज्वाली की जनता ने चुनावी दंगल में कूदने के लिए विवश किया।
जनता की इस आवाज को संजय गुलेरिया ने अपने सिर माथे पर रखा और चुनाव प्रचार के लिए निकल पड़े। पहले संजय गुलेरिया ने सारी विधान सभा में ताबड़तोड़ नुक्कड़ सभाएं की और अब चुनाव प्रचार को एक अनोखा रूप दे दिया। संजय गुलेरिया अब लोगों से रुबरू होने के लिए डोर टू डोर चुनाव प्रचार में जुट गए है।