आज भी कई गांवो में काले पानी जैसे हालात- पराशर

संजय ने हलेड़, अमरोह और कस्बा कोटला सहित सात गांवों में किए जनसंवाद कार्यक्रम

Captain Sanjay addressed the people in the mass dialogue program in Dadasiba
डाडासीबा में जनसंवाद कार्यक्रम में कैप्टन संजय ने किया लोगों को संबोधित

डाडासीबा : हलेड़, अमरोह और कस्बा कोटला सहित सात गांवों में किए जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान कैप्टन संजय ने कहा है कि जसवां-परागपुर क्षेत्र के कई गांव ऐसे हैं, जहां सुविधाओं की कमी होने से आज भी काले पानी जैसे हालात हैं। अगर इन गांवों में सुविधाओं की अब भी दरकार है तो समझा जा सकता है कि क्षेत्र के हितों की रक्षा करने वालों ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही ढंग से नहीं किया। वीरवार को हलेड़, अमरोह, कस्बा कोटला, रिड़ी कुठेड़ा, नारी, घाटी और घमरूर पंचायतों में आयोजित जनसंवाद कार्यक्रमो में पराशर ने कहा कि इन गांवों को सड़क सुविधा से जोड़ने के लिए ग्रामीणों ने दशकों का लंबा इंतजार किया है, लेकिन हैरानी इस बात की है कि अब हालत ज्यों के त्यों हैं। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलता है तो हर वर्ष ग्रामीण क्षेत्रों में आठ सौ किलोमीटर संपर्क मार्गों का निर्माण करवाया जाएगा।

संजय ने कहा कि हलेड़ पंचायत के रखारड़ा और बेरी में सड़क सुविधा न होने से स्थानीय वासी हर रोज परेशान होते हैं। ऐसा ही हाल अमरोह पंचायत के अमलैहड़, गुम्मी, खारियां, थोड़ू और खनोड़ में है। इन गांवों में न तो गैस की गाड़ी पहुंच पाती है। आपात स्थिति में एंबुलेंस के न पहंचुने से किसी मरीज का जीवन ही दांव पर लग जाता है। उन्होंने कहा कि कस्बा कोटला की दलित बस्ती में भी आज दिन तक संपर्क मार्ग का निर्माण नहीं हो पाया है। जसवां-परागपुर क्षेत्र के अन्य गांवों में भी संपर्क सड़क मार्गो की हालत बद से बदतर है। चाहे वो घाटी गांव की राजपूत बस्ती को जाने वाली संपर्क सड़क हो या क्षेत्र के अंतिम छोर पर बसी पंचायत अलोह का सरी गांव हो, संपर्क सड़कें आज भी अपनी दशा पर आंसू बहाते हुए दिखती हैं। इन गांवों की सुध लेने के लिए कोई आगे नहीं आया और यहां पर शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर बात करना भी बेमानी सा लगता है।

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पराशर ने कहा कि यह भी एक बड़ा कारण रहा कि क्षेत्र के गांवों से पलायन होता रहा, लेकिन विकास की दुहाई देने वाले मूकदर्शक बनकर तमाशा देखते रहे। सार्मथ्यवान परिवारों ने तो अन्य स्थानों पर शिफ्ट होकर इन गांवों की समस्याओं से छुटकारा पा लिया, लेकिन गरीब परिवार आज भी मूलभूत समस्याओं से संघर्ष करते हुए देखे जा सकते हैं। बेहतर शिक्षा के लिए शिक्षण संस्थानों में स्टाफ नहीं है। रोजगार के साधन न के बराबर हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल भी बेहाल है।

संजय ने कहा कि मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध करवाने के नाम पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। एंबुलेंस रोड़ गांवों तक पहुंचना स्थानीय वासियों का मौलिक अधिकार भी है और अगर इस सुविधा के लिए देरी हुई है तो जबावदेही भी सुनिश्चित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में अगर नीति व नियत से काम किया होता तो क्षेत्र के ग्रामीण परिवेश की तकदीर व तस्वीर कुछ और होती। पराशर ने कहा कि राष्ट्र की उन्नति का रास्ता गांवों से होकर ही जाता है। इसलिए गांवों का विकास उनके विजन में प्रमुखता से शामिल रहेगा और गांवों की प्रत्येक बस्ती तक एंबुलेंस रोड़ पहुंचाना उनकी प्राथमिकता में शामिल रहेगा।

संवाददाता : ब्यूरो डाडासीबा

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