प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथ का निधन

देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में अहम योगदान दिया

उज्ज्वल हिमाचल। पालमपुर

चैधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डीके वत्स ने प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन के निधन पर शोक व्यक्त किया है। कुलपति ने कहा कि स्वामीनाथन, भारत की हरित क्रांति के जनक और विश्व प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक थे। उन्होंने कहा कि डॉ. स्वामीनाथन ने धान की अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिससे देश को लाखों लोगों को पेट भरने के लिए उच्च उपज पैदा करने में मदद मिली और देश के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हुई।

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इन विभागों के पदों पर किया कार्य

उन्होंने कहा कि उनका जाना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है लेकिन डॉ. स्वामीनाथन का जीवन और उपलब्धियां वैज्ञानिक समुदाय और कृषि और संबद्ध व्यवसायों में लगे अन्य लोगों को प्रेरित करता रहेगा। डॉ. वत्स ने याद करते हुए कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान डॉ. स्वामीनाथन ने विभिन्न विभागों में विभिन्न पदों पर कार्य किया। उन्हें भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान का निदेशक 1961-72 आईसीएआर का महानिदेशक और भारत सरकार का कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग का सचिव 1972-79 कृषि मंत्रालय का प्रधान सचिव 1979-80 नियुक्त किया गया।

डॉ. स्वामीनाथन को 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था

इतना ही नहीं डॉ. स्वामीनाथन को कार्यवाहक उपाध्यक्ष और बाद में सदस्य विज्ञान और कृषि, योजना आयोग 1980-82 और महानिदेशक, अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, फिलीपींस 1982-88 भी बनाया गया। डॉ. स्वामीनाथन को 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। जिसके बाद उन्होंने चेन्नई के तारामणि में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन एमएसएसआरएफ की स्थापना की।

ब्यूरो रिपोर्ट पालमपुर

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