प्रदेश की फसलों और पारंपरिक गहनों के लिए भी होगा जीआई प्रयासः कुलपति

GI effort will also be done for state's crops and traditional ornaments: Vice Chancellor

उज्जवल हिमाचल। पालमपुर

चौसकु हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.एच.के. चौधरी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की महत्वपूर्ण फसलों के लिए भौगोलिक संकेत (जीआई) प्राप्त करने के लिए सक्रिय प्रयास शुरू किए गए हैं। फसलों के साथ पारंपरिक गहनों को लेकर भी जीआई प्राप्त की पहल की जा रहीं है ताकि उसका लाभ किसानों के साथ ग्रामीणों को भी मिलें।

उन्होंने कहा कि फसलों और उत्पादों के अन्य मालिकों को इन विशिष्ट उत्पादों पर विशेष अधिकार प्राप्त होते हैं। इन्हें बेचकर भरपूर लाभ प्राप्त होता है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश के भरमौर, बरोट और किन्नौर के राजमाश; करसोग, शिलाई और चंबा क्षेत्र की उड़दबीन; करसोग की कुल्थी; कुल्लू, कांगड़ा और मंडी क्षेत्र के लाल चावल; चंबा की चूख, चंबा के प्राचीन आभूषण; जानवरों की नस्लें और उनके उत्पाद आदि को भौगोलिक संकेत (जीआइ)के लिए चुना गया है।

प्रो.एच.के.चौधरी ने कहा कि गद्दी महिलाओं के अनूठे पारंपरिक आभूषण जैसे चाक और चिड़ी, चंद्रहार और चंपाकली, लौंग, कोका, तिल्ली और बालू, बुंदे, झुमके, कांटे, लटकनी; तुंगनी और कनफुल, गोजरू, टोके, कंगनू, स्नंगु, सिंघी और परी और भरमौर क्षेत्र से सफेद शहद जैसे औषधीय उत्पाद; लाहौल स्पीति और किन्नौर से एफिड्स हनी ड्यू, जंगली मशरूम (कीड़ाजड़ी), स्पीति छरमा और ऊनी उत्पाद जैसे चारखानी पट्टू, डोहरू, पूडे और चीगू बकरी से पश्मीना आदि को जीआई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

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कुलपति चौधरी ने बताया कि चावल, जौ, राजमाश, कुल्थी, माह (उड़द) जैसी अच्छी फसलें हैं तो संभावित फसलें जैसे कुट्टू, चौलाई, बाथू (चेनोपोडियम), बाजरा, काला जीरा, ऑर्किड, बांस, चारा, लहसुन, अदरक, लाल अदरक, जिमीकंद, खीरा, काकड़ी, घंडियाली, मूली, ककोरा, तरडी, लिंगडू आदि और पहाड़ी मवेशियों में भैंस (गोजरी) जानवरों में स्पीति घोड़ा; स्पीति गधा; रामपुर-बुशैहर और गद्दी भेड़; चीगू और गद्दी बकरियां, हिमाचली याक, बर्फीली ट्राउट; गोल्डन महासीर, कार्प और हिल स्ट्रीम फिश आदि ने जीआई के लिए विश्वविद्यालय का प्रयास है।

कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद(एचआईएमसीओएसटीई), हिमाचल प्रदेश पेटेंट कार्यान्वयन केंद्र, शिमला को जीआई प्राप्त करने के अपने प्रयासों के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी डाटा के रूप में प्रत्येक फसल, पशु या अन्य विशिष्ट उत्पादों के लिए उत्पन्न किया जाना है जहां प्राप्त करने की संभावना है के साथ सहयोग कर रहा है।

संवाददाताः ब्यूरो पालमपुर

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