उज्जवल हिमाचल। नूरपुर
नूरपुर नगरपरिषद् के वार्ड चार के लोगों का कहना है कि अगर वार्ड-दो में पार्किंग फीस वसूली नहीं जाती तो फिर नूरपुर के वार्ड चार के लोगों से भी पार्किंग फीस वसूलनी बन्द की जाए। ऐसी चर्चाएं नूरपुर शहर में चर्चित हिमाचल प्रदेश में चाहे कांग्रेस की सरकार हो या भाजपा की।
इस मामले में दोनों राजनीती दलों की एक ही कार्यशैली देखने को मिलती है। नूरपुर शहर में पिछले काफी समय से एक शहर दो कानून की प्रथा लगातार जारी है। नूरपुर शहर में बनी वार्ड नंबर दो और वार्ड चार में बनी नगरपरिषद् की पार्किंग की है। यहां एक और वार्ड नंबर चार में बनी पार्किंग की हर साल नीलामी की जाती है तथा वाहन मालिकों से पार्किंग फीस वसूल की जाती है।
वहीं वार्ड नंबर दो में बनी पार्किंग की पिछले कई सालों से न तो नीलामी की जाती है और न ही वाहन मालिकों से इस पार्किंग में जो अपनी गाडियां पार्क करते है। किसी प्रकार की पार्किंग फीस ली जाती है। जबकि इस पार्किंग में लगभग तीस से अधिक गाडियां खड़ी रहती है। पार्किंग को लेकर इस दोहरी नीति के चलते वार्ड नंबर चार के वाहन मालिकों में भारी रोष व्याप्त है।
वाहन मालिकों का कहना है कि अगर वार्ड नंबर दो में बनी पार्किंग में कोई पार्किंग फीस नहीं ली जाती तो केवल वार्ड नंबर चार के लोगों से ही क्यों पार्किंग फीस वसूल की जाती है। लोगों ने कहा की पहले भी इस मामले को नगर परिषद के ध्यान में लाया गया था और नगर परिषद् ने इस पार्किंग की नीलामी करने की बात कही थी। परंतु एक साल बीत जाने के बाद भी इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं की गई।
यह भी पढ़ेः सेक्रेड सोल कैंब्रिज स्कूल में दो दिवसीय टीचर्स हेरिटेज एजुकेशन वर्कशॉप का आयोजन
लोगो का कहना है कि अगर वार्ड नंबर दो में बनी पार्किंग में कोई पार्किंग फीस नहीं ली जाती तो वार्ड नंबर चार में भी पार्किंग फीस बसूलनी बंद की जाए। उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ सालों से नूरपुर में वाहनों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है लेकिन शहर में वाहन पार्किंग की उचित व्यवस्था न होने के कारण वाहन मालिकों को अपने वाहन यहां वहां खड़े करने पर मजबूर होना पड़ता है।
बुद्धि जीवियो का कहना है कि अगर नगर परिषद् शहर में उचित स्थानों को चिन्हित कर पार्किंग का निर्माण करे तो इससे न केवल नगरपरिषद् की आय में वृद्धि होगी बल्कि बेरोजगार युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। वही कुछ लोगो ने नगर परिषद् की कारगुजारी पर गहरी चिन्ता जताते हुए कहा कि परिषद् की पार्किंग की नीलामी में भी अभी तक चेहते लोगों का बोलबाला है।
जब इस मामले के बारे में कार्यकारी अधिकारी आशा वर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामला उनके ध्यान में लाया गया है व शीघ्र ही नगरपरिषद की आगामी बैठक में पार्किंग की इस समस्या पर चर्चा की जाएगी। भाजपा की पांच साल की सरकार में यह मामला अधर में लटका रहा। नवनिर्वाचित सरकार की नगर परिषद की अफसरशाही इस विषय में व्यवस्था परिवर्तन करती है या नहीं।